लखनऊ| लखनऊ के हजरतगंज का इलाका वीआईपी और सबसे व्यस्त इलाका। यहां फुटपाथ पर तीन घंटे लाश पड़ी रही। बगल में ही जीपीओ के पास गांधी प्रतिमा पर सियासी दलों का धरना-प्रदर्शन चलता रहा। एक-दो नहीं सैकड़ों लोग उसके करीब से गुजरे। देखा भी…। पर, कोई रुका नहीं। अनदेखा करते हुए चले गए। जैसे वहां कुछ हुआ ही न हो…। पुलिसकर्मी और अफसर भी वहां से गुजरे। पर उनका भी वही रवैया। किसी ने जहमत नहीं की यह जानने की वहां जो शख्स पड़ा है, वो जिंदा है या मुर्दा…।
शव पर चीटियां रेंगती रहीं। चीटियों ने चेहरा बिगाड़ दिया। हमारे फोटोजर्नलिस्ट चंद्रकांत शुक्ला की नजर जब उस पर पड़ी तो उन्होंने एंबुलेंस बुलाई और पूरी घटना कैमरे में कैद किया। पर, पास खड़े पुलिसकर्मी आगे तक नहीं बढ़े। दूर से ही दूसरों से लाश को एंबुलेंस पर लदवा दिया। इस बीच मृतक की जेब से पैसे तक निकाल लिए गए। इस बीच पुलिसवाला डंडे से मृतक का सामान खंगालता रहा। हमारे फोटोजर्नलिस्ट ने पैसे लेकर भाग रहे रिक्शा चालक को पकड़वाया।
इसके बाद मृतक की पैंट से निकाले गए पैसे फिर उसकी जेब में रखवाए। ये भी पता चला कि वह रिक्शा चलाता था। वह बाजारखाला का रहने वाला विजय मौर्या (48) था। पुलिस कह रही है उसकी मौत बीमारी से हो गई। ये तस्वीरें आपको विचलित कर सकती हैं, पर समाज व पुलिस की मर रही संवेदना को दिखाने के लिए हम तस्वीरों को धुंधली करके आपको दिखा रहे हैं। पुलिसकर्मी उसके कपड़ों को डंडे से टटोल-टटोल कर देखता रहा।