ड्राइवरों ने किया विरोध, चालान को कम करने की मांग, केंद्रीय मंत्री गडकरी हुए आश्चर्यचकित-
नए मोटर व्हीकल एक्ट के विरोध में हुई हड़ताल पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि मैं काफी आश्चर्यचकित था कि ड्राइवरों ने इसका विरोध किया। जबकि यातायात नियमों का उद्देश्य उनके जीवन की रक्षा करना और सड़को को सुरक्षित बनाना है। उन्होंने कहा कि विरोध करने वालों को उन परिवारों के दर्द के बारे में भी सोचना चाहिए, जिन्होंने अपने करीबियों को सड़क दुर्घटना में खो दिया।
गडकरी ने कहा कि आखिर यह लोग विरोध क्यों कर रहे हैं ? मैं यह समझ नहीं पा रहा हूं क्योंकि इसका उद्देश्य बेहतर जीवन और नियमों का पालन करना है। हा उन लोगों को जरूर इसका सामना करना पड़ रहा है जो नियमों को तार-तार करते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक गडकरी ने यह बयान उस वक्त दिया जब दिल्ली के चालक इस कानून का विरोध कर रहे हैं।
हाल के दिनों में कट रहे भारी भरकम चलान के बीच नितिन गडकरी ने उदाहरण के तौर पर ट्रक की बात कही और दुर्घटना में जान गंवाने वालों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हर साल कम से कम डेढ़ लाख लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में होती है जबकि ढाई लाख लोग दिव्यांग बन जाते हैं। इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराना चाहिए ?
चालान को कम करने की उठती मांग के बीच गडकरी ने कहा कि नाबालिग के साथ बलात्कार में शामिल लोगों के लिए हमारे पास कठोर दंड हैं। तो क्या कोई इस तरह के अपराध के लिए दंड को कम करने की मांग कर सकता है? उन्होंने सीधेतौर पर यह सवाल उन लोगों से पूछ लिया जो लोग मोटर व्हीकल एक्ट के कड़े प्रावधानों का विरोध कर रहे हैं।
गडकरी ने कहा कि साल 2018 के आंकड़ों पर ध्यान दें तो सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले डेढ़ लाख लोगों में से लगभग 1 लाख 5 हजार लोग 18 से 45 वर्ष की आयु सीमा के थे। यह चिंता की बात है।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए मोटर व्हीकल एक्ट 2019 के कुछ प्रावधानों को राज्य सरकार ने बदल दिया है। हालांकि कुछ प्रावधान ऐसे भी हैं जो राज्य सरकारें अपनी सुविधा अनुसार कम नहीं कर सकती। इनमें नाबालिगों के गाड़ी चलाने पर 25 हजार जुर्माने के प्रावधान, शराब पीकर गाड़ी चलाने पर 10 हजार का चालान और सिग्नल तोड़ने पर लगने वाले 5 हजार के जुर्माने शामिल हैं।
बात जुलाई के महीने की है। परिवहन और हाइवे मंत्री नितिन गडकरी ने स्वीकार किया था कि वह नाकाम रहे हैं। गडकरी ने संसद में मोटर व्हीकल एक्ट 1988 में संशोधन पेश करने के बाद अपने संबोधन में कहा था कि सड़क दुर्घटनाओं के मामले में हमारा देश आज दुनिया में सबसे आगे हैं। मेरे द्वारा किए गए प्रवास के बावजूद हादसों की संख्या में मात्र 3 से 4 फीसदी की कमी आई है। मैं इसमें नाकाम रहा हूं और यह बात मैं स्वीकार करता हूं।
नियमों में कड़ाई होने के बाद देखा गया है कि प्रदूषण जांच केंद्रों पर पीयूसी (पलूशन अंडर कंट्रोल) सर्टिफिकेट बनवाने वालों की संख्या में इजाफा हो गया। आपको बता दें कि 1 सितंबर से नया ट्रैफिक नियम लागू होने के बाद पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाने वालों की संख्या में 9 फीसदी का इजाफा हुआ है। 11 राज्यों से मिले आंकड़ों के आधार पर यह बात कही गई। हालांकि अभी दिल्ली के आंकड़ें सामने नहीं आए हैं।
गडकरी ने कहा कि जिस तरह से ड्राइविंग लाइसेंस, पीयूसी में भीड़ देखने को मिल रही है वह यह इस बात को दर्शा रही है कि चालान के डर से लोग नियमों का पालन करने के लिए मजबूर हो गए हैं।