अलविदा, सुरों की आजीवन साधक लता मंगेशकर जी, आप हमेशा याद आएँगी
मुंबई। स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने इस दुनिया को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। गीतकार गुलजार ने लता मंगेशकर को भावुक होकर याद किया। इस दौरान उन्होंने ‘हमने देखी है’ गाने से जुड़ा एक किस्सा भी सुनाया।
Sand artist Sudarsan Pattnaik paid tribute to singer #LataMangeshkar through his sand art at Puri beach in Odisha pic.twitter.com/SipyMFQVjk
— ANI (@ANI) February 6, 2022
‘ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी’ गाकर हर बार लोगों को रुला देने वाली 138 करोड़ भारतीयों की ‘लता दी’ रविवार के सूरज के साथ अस्ताचल को चली गईं। 92 साल की देश भर की ‘दीदी’ कहलाने वाली लता मंगेशकर का निधन रविवार सुबह ब्रीच कैंडी अस्पताल में कोरोना और न्यूमोनिया के चलते हुआ। चार हफ्ते तक अस्पताल में रही लता मंगेशकर ने आखिरी बार होश में आने पर भी दो दिन पहले अपने पिता मास्टर दीनानाथ मंगेशकर के गीतों के साथ सुर मिलाने की कोशिश की। एक दिन पहले पूजी गईं सरस्वती प्रतिमाएं जब रविवार को विसर्जन को निकलीं तो इस बार मां सरस्वती अपनी आजीवन साधक को भी अपने साथ लेती चली गईं। लता मंगेशकर को अंतिम विदाई देने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे। अंतिम संस्कार के समय देश की नामी गिरामी हस्तियों का जमावड़ा यहां शिवाजी पार्क मैदान में देखा गया।
दक्षिण मुंबई की गलियों ने लता मंगेशकर का संघर्ष देखा है। लता मंगेशकर की अंतिम यात्रा उनके निवास प्रभा कुंज से जब शिवाजी पार्क के लिए निकली तो चंद मिनटों का ये रास्ता तय करने में करीब डेढ़ घंटे का समय लग गया। रास्ते के दोनों तरफ मुंबई और महाराष्ट्र के अलग अलग क्षेत्रों से पहुंचे लोग श्रद्धावनत दिखे। किसी के हाथों में लता मंगेशकर की तस्वीर तो किसी के हाथों में पुष्पगुच्छ। कुछ तो अपने बच्चों को भी साथ ले आए, ये दिखाने कि जिस युग में तुम्हारा जन्म हुआ, उसे अब लता युग के नाम से जाना जाएगा। देश की सात पीढ़ियों की पसंदीदा गायिका रहीं लता मंगेशकर को अंतिम विदाई राजकीय सम्मान के साथ दी गई। भारतीय सेना के तीनों अंगों थल, नभ और नौसेना ने उन्हें सलामी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देने के बाद उनकी देह की परिक्रमा भी की और शोक संतप्त परिजनों को ढांढस बंधाया।
गुलजार कहते हैं, ‘वह बहुत स्नेहमयी थी। सहज थीं। सरल थीं। कोई भी हो छोटा या बड़ा। सबसे प्यार से मिलना। पूरा सम्मान देना और सबसे बड़ी बात कि किसी भी छोटे को छोटा न महसूस होने देना उनकी शख्सियत की बहुत बड़ी खासियत थी।’ गुलजार का ही लिखा गाना, ‘नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदला जाएगा, मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे’ रविवार के पूरे दिन न्यूज चैनलों पर बजता रहा। गुलजार के मुताबिक, ‘ये गाना जब मैंने उन्हें दिया तो कहा था कि ये आपका ऑटोग्राफ सॉन्ग है।’ शिवाजी पार्क पहुंचे हर शख्स के पास लता मंगेशकर से जुड़ी ऐसी ही कोई न कोई याद जरूर थी। किसी को उनका गाना ‘लग जा गले कि फिर ये हंसी रात हो ना हो’ बार बार याद आ रहा था तो कोई ‘रहें ना रहें हम..’ नम आंखों से गा रहा था।
तिरंगे में लिपटी लता मंगेशकर के चेहरे पर अपनी अंतिम यात्रा में भी एक अलग ओज नजर आया। माथे पर चंदन और कुमकुम का टीका और साथ में पूरा परिवार। सेना की जीप रास्ता तो दिखा रही थी लेकिन सेना का ट्रक भी बस मुंबई की सड़कों पर रेंग ही पा रहा था। ये वही सड़कें हैं जिन पर लता मंगेशकर कई कई किमी पैदल चलकर स्टूडियो तक पहुंची। इन्ही सड़कों की किनारे लगी बेंचों पर उन्होंने तमाम दोपहरें इस इंतजार में बिताईं कि शाम हो तो शोर थमे और उनके गाने की रिकॉर्डिंग शुरू हो सके। और उसी शहर मुंबई की रविवार की शाम का शोर भी फीका लग रहा था। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे बहुत उद्वेलित दिखे। उनके बेटे आदित्य ठाकरे सुबह से ही लता मंगेशकर की अंतिम यात्रा के इंतजाम में हर पल शामिल रहे।
सचिन तेंदुलकर को वह बहुत प्यार करती थीं। वह अपनी पत्नी के साथ विदा देने पहुंचे। शरद पवार से उनका रिश्ता काफी खास रहा। वह भी अपने परिजनों के साथ मौजूद रहे। शाहरुख खान पर उनका खास स्नेह रहता था। अंतिम यात्रा में वह भी शोकाकुल नजर आए। जावेद अख्तर के मुताबिक, लता मंगेशकर के नाम के साथ कोई विशेषण नहीं लग सकता क्योंकि उनका नाम ही अपने आप में एक उपमा है, एक विशेषण है। वह अंतिम संस्कार में राज ठाकरे और सुप्रिया सुले के करीब बिल्कुल गुमसुम बैठे दिखे। कुछ वैसे ही जैसे विश्व सिनेमा का हर शख्स गुमसुम है, सात पीढ़ियों की इस दीदी को विदा करके।