महाराष्ट्र में बहुमत का फैसला सिर्फ सदन में होगा : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली | महाराष्ट्र के सियासी संकट में भारतीय जनता पार्टी की भी एंट्री हो गई है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के सामने फ्लोर टेस्ट की मांग की थी। जिस पर राज्यपाल की ओर से 30 जून को उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कहा है। ऐसी स्थिति में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बहुमत का फैसला सिर्फ सदन के पटल पर हो सकता है। उधर, गुवाहाटी में ठहरे बागी विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे गोवा के लिए रवाना हो गए हैं। शिंदे ने ऐलान किया है कि वो 30 जून को मुंबई पहुंचेंगे।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि हमारा मानना है कि बहुमत का फैसला सिर्फ सदन के पटल पर ही हो सकता है। इससे पहले शिवसेना की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि अयोग्य सदस्यों पर फैसला आने से पहले फ्लोर टेस्ट कैसे हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सभी एकमत हैं कि लोकतंत्र के हित में दसवीं अनुसूची के उद्देश्य को मजबूत किया जाना चाहिए। इसमें कोई झगड़ा नहीं है और सभी इस बात से सहमत हैं कि यह अदालत दसवीं अनुसूची (दलबदल विरोधी कानून) को मजबूत करे।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि जिन असाधारण परिस्थितियों में इस अदालत ने हस्तक्षेप किया था, क्योंकि अयोग्यता की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव था। सिंघवी ने कहा कि मुद्दा यह है कि जो पहले से ही अयोग्य है क्योंकि 21 जून को उसे कल मतदान करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस अदालत को ऐसी स्थिति से बचना चाहिए। यह किसी ऐसी चीज की अनुमति नहीं देगा जो लोकतंत्र की जड़ को काट दे। सिंघवी ने 34 बागी विधायकों द्वारा राज्यपाल को दिए गए पत्र का हवाला दिया और तर्क दिया, “यह स्वयं सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार सदस्यता छोड़ने के बराबर है।”