एक ऐसा गांव जहां के लोग अब थाने-कचहरी नहीं जाते #गोंडा : उत्तर प्रदेश
लखनऊ|उतर प्रदेश में एक ग्राम पंचायत ऐसी भी है जहां के लोग थाना-कचहरी नहीं जाते। जी हां, गोंडा जिले में वजीरगंज के डुमरियाडीह गांव में विवादों का निपटारा महिला पंच-सरपंचों के नेतृत्व वाली लोक अदालत करती है। छोटे-छोटे विवाद या मामूली गलतफहमी से मामला इतना बिगड़ जाता है कि बात थाने से लेकर कोर्ट-कचहरी तक पहुंच जाती है। फिर संबधित पक्षों को अदालत के चक्कर लगाते-लगाते वर्षों बीत जाते हैं। तारीख पर तारीख पड़ने से लंबे समय तक फैसला नहीं हो पाता। गांवों में ऐसे मामले आम बात है। इसके विपरीत जिले का डुमरियाडीह ग्राम एकमात्र ऐसा गांव है, जहां के लोग थाना-कचहरी नहीं जाते।
एक ही पेशी में हो जाता है फैसला-
ऐसा नहीं है कि यहां पर लड़ाई-झगड़े या विवाद नहीं होते हैं, लेकिन तमाम मामलों का निपटारा गांव की मुखिया ऊषा मिश्रा की अगुवाई में लोक अदालत लगाकर फैसला कर लिया जाता है। पिछले 6 माह के दौरान अब तक कुल 60 मामलों का निपटारा किया जा चुका है। इस लोक अदालत में तारीख पर तारीख भी नहीं पड़ती। मामले की सुनवाई की पहली तारीख पर ही सबकी राय के साथ फैसला सुनाया जाता है। विवादों का त्वरित निस्तारण हो जाने से गांव में हत्या या इस तरह की गंभीर घटनाओं पर भी पूरी तरह अंकुश लग गया है।
गांव की महिला मुखिया को जाता है श्रेय-
गोंडा – फैजाबाद हाईवे पर स्थित 5200 लोगों की आबादी वाले इस गांव में वर्ष 15 में हुए चुनाव में 6 सदस्यीय ग्राम पंचायत चुनी गई थीं। पंचायत में गांव की महिला मुखिया ऊषा मिश्रा के अलावा 3 महिलाएं भी पंच हैं। कक्षा 5 तक पढ़ी साधारण गृहिणी ऊषा मिश्रा प्रधान चुने जाने के बाद लोगों की सहमति से गांव में लोक अदालत की प्रथा शुरू की। ऊषा मिश्रा बताती हैं कि 15 से पहले गांव में लड़ाई-झगड़े होना आम बात थी। साल में एक दो बड़ी घटना भी हो जाती थी । लेकिन लोगों ने पंचायत पर पूरा विश्वास जताया और सहयोग किया। इसके बाद गांव में विवाद सर्वसम्मति के साथ पंचायत में निपटाए जाने लगे। इन 6 माह के दौरान आज तक गांव का कोई व्यक्ति थाना या कचहरी नहीं गया।
जिम्मेदार बोले-
डुमरियाडीह की प्रधान ऊषा मिश्रा के अनुसार, लोगों ने ग्राम पंचायत के सहयोग से लोक अदालत सहित अन्य कायदे कानून स्थापित कर गांव को आदर्श बना दिया है ।तरबगंज के सीओ कृष्ण चंद्र सिंह के मुताबिक, ग्राम पंचायत की ओर से किए गए फैसलों को कानूनी मान्यता दी जाती है। इतना ही नहीं किसी भी तरह के विवाद के मामले में भी पंचायत की गवाही को कानूनी मान्यता दी जाती है । डुमरियाडीह मुखिया की पंचायत के फैसले बेहद सराहनीय है ।