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केजरीवाल पर शक करना ईमानदारी पर शक करने के बराबर है ! पढ़िए तृप्ति शुक्ला का यह व्यंग्य आलेख

  • May 10, 2017
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केजरीवाल पर शक करना ईमानदारी पर शक करने के बराबर है ! पढ़िए तृप्ति शुक्ला का यह व्यंग्य आलेख

राजनीति में कुछ बातें होती हैं जो बताई नहीं जा सकतीं…। अपने आदर्श के मुंह से इतना सुनना था कि कपिल मिश्रा ने ठान लिया कि वह दिखाकर रहेंगे कि ये बातें कैसे बताई जाती हैं। कपिल यह बर्दाश्त ही नहीं कर पाए कि उनका आदर्श कुछ ‘नहीं कर सकने’ की बात कर रहा है। उनका आदर्श तो सुपरमैन… ओह सॉरी, बाहुबली है, उसके लिए तो कुछ भी असंभव नहीं। वह मोदी से लेकर मोदी तक, सबको गरिया सकता है। वह हर फिल्म का रिव्यू दे सकता है। वह दिन-रात ट्वीट कर सकता है, छांट-छांटकर रिट्वीट कर सकता है। वह बगैर किसी चिंतन-मनन के पलभर में अपनी हार का कारण सामने रख सकता है। वह ‘टॉक टु एके’ और ‘डोंट एवर डेयर टु टॉक टु एके’ नामक कार्यक्रम साथ-साथ चला सकता है। वह ‘हमें मरवाया जा सकता है’ का विडियो जारी करने के बाद भी युगों-युगों तक जीवित रह सकता है। और तो और, एकलौता वही है जो सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांग सकता है। संक्षिप्त में कहें तो उनका आदर्श वह सबकुछ कर सकता है जो विचित्र किंतु सत्य के दायरे में आता है।
ऐसे आदर्श के मुंह से यह सुनना कि कुछ बातें बताई नहीं जा सकतीं, किसी को भी सदमे में भेजने के लिए काफी है। कपिल बहुत स्ट्रॉन्ग निकले कि सदमे में जाने की जगह सदमे में भेजने का रास्ता चुना। लेकिन कपिल के लाख बयानों के बावजूद केजरीवाल की ईमानदारी पर शक नहीं किया जा सकता क्योंकि केजरीवाल ईमानदारी की अपनी ही परिभाषा पर चलते हैं। उनकी यह परिभाषा वक्त और परिस्थितियों के मुताबिक बदलती रहती है। इसलिए परिभाषा बदल सकती है किंतु केजरीवाल कभी नहीं बदल सकते। वह अपनी परिभाषानुसार ईमानदार थे, हैं और चिरकाल तक रहेंगे।
अब बात 2 करोड़ रुपयों की, तो वह कोई रिश्वत नहीं थी, वह रिश्वत हो ही नहीं सकती। हमारे अविश्सनीय सूत्रों से पता चला है कि असल में ये पैसे बाहुबली फिल्म में कट्टप्पा की फीस के पैसे थे। कट्टप्पा अपने बिजी शेड्यूल के चलते केजरी जी से खुद मिलने नहीं आ पाए लेकिन वह चाहते थे कि ईमानदार केजरीवाल जी ईमानदारी से कमाई उनकी फीस पर हाथ रखकर एक बार उनको आशीर्वाद दे दें ताकि उनकी तरह कट्टप्पा भी ईमानदारी के पथ पर यूं ही अग्रसर होते रहें और हर बार पाप करने पर खुलकर बोल सकें- मैं ही हूं वह नीच।
ईमानदारी की यह पराकाष्ठा कपिल को समझ आने से रही तभी केजरी ने उन्हें टरकाते हुए कह दिया होगा कि राजनीति में कुछ बातें होती हैं जो बताई नहीं जा सकतीं। इसलिए केजरी की मंशा पर संदेह करने के लिए कपिल मिश्रा नरक की आग में जलेंगे और कुमार विश्वास को न चाहते हुए भी उसी आग के सम्मुख अपनी प्रस्तुति देनी होगी। उनकी प्रस्तुति में वह मेरी भी दो लाइनें जोड़ सकते हैं-
कोई बेईमान कहता था, कोई मूरख समझता था।
मगर वो क्या था असली में, ये केवल वो समझता था।।
सजा मुझको मिली है नरक में कविता सुनाने की,
सजा मुझको मिली है नरक में कविता सुनाने की,
बहुत समझा तो ये समझा कि मैं ठेंगा समझता था।।
Courtsey: तृप्ति शुक्ला