शहीद कर्नल आशुतोष का जयपुर में हुआ अंतिम संस्कार, बुलंदशहर में पाकिस्तान के विरोध में लगे नारे
बुलंदशह | उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए बुलंदशहर निवासी कर्नल आशुतोष शर्मा का मंगलवार की सुबह जयपुर में सैन्य सलामी के बाद गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार हुआ। उधर, कर्नल के पैतृक गांव बुलंदशहर के परवाना में लोगों ने गहरा दुख जताते हुए कर्नल को श्रद्धांजलि दी और पाकिस्तान के विरोध में नारे लगाए। लोगों ने श्रद्धांजलि देते हुए घरों में कैंडल जलाई।
कर्नल के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि उनके बड़े भाई पीयूष शर्मा ने दी। इस दौरान उनकी पत्नी सहित अन्य परिवारीजन, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत सहित जनप्रतिनिधि और सेना के अधिकारी मौजूद रहे। कर्नल के पैतृक गांव से गए उनके तहेरे भाई सोनू पाठक ने बताया कि अंतिम संस्कार के समय हर किसी की आंख में आंसू थे।
कौन थे कर्नल आशुतोष-
21 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर रहे कर्नल आशुतोष अपने आतंक रोधी अभियानों में साहस और वीरता के लिए दो बार वीरता पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। इतना ही नहीं, शहीद आशुतोष कर्नल रैंक के ऐसे पहले कमांडिंग अफसर थे, जिन्होंने पिछले पांच साल में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में अपनी जान गंवाई हो। इससे पहले साल 2015 के जनवरी में कश्मीर घाटी में आतंकियों से लोहा लेने के दौरान कर्नल एमएन राय शहीद हो गए थे। इसके अलावा, उसी साल नवंबर में कर्नल संतोष महादिक भी आतंकियों के खिलाफ अभियान में शहीद हो गए थे।
आतंकियों के लिए खौफ का दूसरा नाम थे आशुतोष-
सेना के अधिकारियों के मुताबिक, कर्नल आशुतोष शर्मा काफी लंबे समय से गार्ड रेजिमेंट में रहकर घाटी में तैनात थे और वह आतंकवादियों के खिलाफ बहादुरी के लिए दो बार सेना मेडल से सम्मानित किए जा चुके हैं। आतंकियों को सबक सिखाने के लिए वह जाने जाते थे। अधिकारियों के मुताबिक, शहीद आशुतोष शर्मा को कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर अपने कपड़ों में ग्रेनेड छिपाए हुए आतंकी से अपने जवानों की जिंदगी बचाने के लिए वीरता मेडल से सम्मानित किया जा चुका है। दरअसल, जब एक आतंकी उनके जवानों की ओर अपने कपड़ों में ग्रेनेड लेकर बढ़ रहा था, तब शर्मा ने बहादुरी का परिचय दिया था और आतंकी को काफी नजदीक से गोली मारकर अपने जवानों की जान बचाई थी। इसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान भी शामिल थे।