#मुजफ्फरनगर दंगा : #संजीव बालियान, साध्वी प्राची सहित इन नेताओं के खिलाफ हुए गैर जमानती वारंट-
मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर जिला सितंबर 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों के मामले में न्यायालय में पेश नहीं होने पर भाजपा सांसद संजीव बालियान, हिंदूवादी नेता साध्वी प्राची और भाजपा विधायक उमेश मलिक समेत कई नेताओं के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए गए हैं। भाजपा नेताओं पर आरोप है कि उन्होंने दंगों के दौरान नांगला मंदौड़ पंचायत में भड़काऊ भाषण दिए थे, जिससे हालात बिगड़ गए थे। सोमवार को अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट ने यह गैर जमानती वारंट जारी कर सभी आरोपियों को 22 जून को अदालत में पेश होने के आदेश दिए हैं। इस मामले में बिजनौर के सांसद भारतेन्दु सिंह, प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश राणा और विधायक संगीत सोम भी आरोपी हैं। इस संबंध में अभियोजन पक्ष का कहना है कि उन्होंने सुनवाई के लिए नियत की गई तिथि 29 मई को व्यक्तिगत पेशी से छूट मांगी थी, जिसे स्वीकार भी कर लिया गया था।
दरअसल यह वारंट 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के मामले में कोर्ट में पेश नहीं होने के कारण जारी किया गया है। 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों की आग शामली, बागपत, सहारनपुर तक फैली थी।अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकुर शर्मा ने यह गैर जमानती वारंट जारी किया है और 22 जून को आरोपियों को अदालत में पेश होने को कहा है। इस मामले में बिजनौर के सांसद भारतेन्दु सिंह, उत्तर प्रदेश के मंत्री सुरेश राणा और विधायक संगीत सोम पर भी इस मामले में आरोपी हैं। आरोपी पेशी होने के बावजूद भी अदालत में उपस्थित नहीं हुए थे। वहीं अभियोजन पक्ष ने कहा है कि अदालत ने उनके उस आवेदन को स्वीकार कर लिया था जिसमें आरोपियों ने सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत पेशी से छूट मांगी थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, अभियुक्तों के खिलाफ निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और गलत तरीके से रोकने सहित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न धाराओं में मामले दर्ज किए गए हैं। आरोपियों पर यह आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर अगस्त 2013 के आखिरी हफ्तें में हुई उस “महापंचायत” में भाग लिया जिसमें उनके द्वारा भड़काऊ भाषण दिए गए थे और इसके बाद हिंसा भड़की थी। अगस्त और सितंबर 2013 में मुजफ्फरनगर और आस-पास के क्षेत्रों में सांप्रदायिक हिंसा में 60 से अधिक लोगों की जानें गईं थी जबकि 40 हजार लोगों को पलायन करना पड़ा था।
महापंचायत के दौरान उन्माद फैलाने का है आरोप-
31 अगस्त 2013 को गांव नगला मंदौड़ में बहू-बेटी बचाओ पंचायत आयोजित की गई थी। इसमें कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने और धार्मिक उन्माद फैलाने सहित धारा 144 के उल्लंघन के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। इनमें प्रदेश के गन्ना राज्यमंत्री एवं भाजपा से थानाभवन विधायक सुरेश राणा, पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री व सांसद संजीव बालियान, बिजनौर सांसद कुंवर भारतेन्द्र सिंह, बुढ़ाना विधायक उमेश मलिक, साध्वी प्राची, पूर्व ब्लॉक प्रमुख वीरेन्द्र सिंह, चेयरमैन श्यामपाल सहित 14 लोगों को नामजद किया गया था। मामले में एसआइटी ने जांच कर आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में चार्जशीट पेश कर दी थी। सुनवाई अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट-2 अंकुर शर्मा के न्यायालय में चल रही है। बचाव पक्ष के वकील चन्द्रवीर सिंह ने बताया कि न्यायालय ने सुनवाई की तिथि 29 मई नियत की थी, लेकिन पेश न होने पर न्यायालय ने सांसद संजीव बालियान, मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना से भाजपा विधायक उमेश मलिक और साध्वी प्राची के गैर जमानती वारंट जारी किए हैं।
क्या है पूरा मामला-
गांव मलिकपुरा की एक युवती से छेड़खानी से छेड़खानी किए जाने पर 27 अगस्त 2013 को थाना कोतवाली क्षेत्र के गांव कवाल के समीप पीड़िता के दो भाई सचिन और गौरव ने आरोपी शहनवाज की मारपीट की थी, जिसमें उसकी मौत हो गयी थी। इस घटना के बाद गुस्साई भीड़ ने सचिन और गौरव को पीट-पीट कर मार डाला था। इसी बात को लेकर दो समुदायों के बीच तनाव पैदा हो गया। इस दरम्यान 30 अगस्त को नगड़ा मंदौड़ में एक पंचायत आयोजित करने का ऐलान किया गया, इसकी जानकारी दूसरे समुदाय को हुई, उसने एक दिन पहले ही यानी 29 अगस्त को मुजफ्फरनगर के खालापार में एक बड़ी पंचायत का आयोजन किया था। जिसमें कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए गए। उसके बाद नगला मंदौड़ में आयोजित पंचायत बेनतीजा समाप्त हो गई थी। इसके पश्चात 7 सितंबर को नंगला मंदौड़ृ के इंटर कॉलेज के मैदान में पंचायत आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में भीड़ जुटी।
यहां भाजपा नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे। इस पंचायत के समाप्त होने के बाद मुजफ्फरनगर में दंगे भड़क गए थे। सांप्रदायिक हिंसा में 60 से अधिक लोगों की जानें गईं थी जबकि 50 हजार लोगों को पलायन करना पड़ा था। दंगों की आग शामली, बागपत, सहारनपुर तक फैली थी। इस मामले में बिजनौर सांसद भारतेंदु सिंह, उत्तर प्रदेश के मंत्री सुरेश राणा और विधायक संगीत सोम भी आरोपी हैं। जानकारी के अनुसार यह सभी लोग भी सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश नहीं हुए थे, लेकिन अदालत ने सुनवाई में निजी उपस्थिति से छूट देने के लिए उनके अनुरोध को स्वीकार किया। जानकारी के अनुसार आरोपियों पर निषेधता का उल्लंघन करने, लोक सेवकों की ड्यूटी में बाधा डालने और सुरक्षाबलों को दोषपूर्ण तरीके से रोकने के आरोप हैं।