मुलायम सिंह यादव होंगे बिहार के अगले राज्यपाल!
बेटे के हाथों तख्तापलट का शिकार हुए सपा के पुरोधा मुलायम सिंंह यादव अब घर-बार, राज्य छोड़ कर पटना में बस सकते हैं। बताया जाता है कि अपने राजनीतिक जीवन का अंतिम समय अब वह बिहार में ही गंगा किनारे काटेंगे। इस बात की पूरी चर्चा है कि वह राज्यपाल बन कर बिहार के राजनिवास में रहने जा रहे हैं। बिहार के गवर्नर का पद रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने के बाद खाली हो गया है।अभी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को बिहार की अतिरिक्त जिम्मेदारी दे गई है। लेकिन, माना जा रहा है कि जल्द ही यह दायित्व मुलायम सिंह को सौंप दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि मुलायम और उनके समर्थक सांसदों ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को वोट दिया है। नरेंद्र मोदी सरकार उनके इस ‘अहसान’ और उम्र का ख्याल रखते हुए कोविंद द्वारा खाली की गई कुर्सी उन्हें सौंपने का मन बना रही है। गवर्नर का फैसला लेने के लिए प्रधानमंत्री अपने करीबी सलाहकारों के साथ कई बैठकें कर चुके हैं। इन बैठकों पर नजर रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि भाजपा मार्गदर्शक मंडल के प्रमुख लालकृष्ण आडवाणी ने मुलायम का नाम आगे बढ़ाया। उनका तर्क था कि सबको हक है कि उसका अंतिम वक्त शांति और सुकून से बीते। भले ही उन्हें यह मौका नहीं मिला, लेकिन भाजपा को मुलायम के वोट का अहसान जरूर इस रूप में चुकाना चाहिए। पीएम मोदी के सलाहकारों को आडवाणी की सलाह कुछ दूसरे कारणों से ज्यादा उपयोगी लगी। उन्हें लगा कि मुलायम को राज्यपाल बना कर भाजपा देश को कांग्रेस मुक्त करने के अभियान में भी आगे बढ़ सकती है। कांग्रेस बिहार सरकार में मामूली साझेदार है। मुलायम को राज्यपाल बना कर राजद और कांग्रेस को नीतीश सरकार से अलग कराने की रणनीति पर भी सोचा जा रहा है। भाजपा को लग रहा है कि मुलायम को राज्यपाल बना कर वह लालू-मुलायम के रिश्ते में भी दरार डलवाने में कामयाब रहेगी। बता दें कि दोनों में पारिवारिक रिश्ता है। वे समधी हैं। उधर, भाजपा की इस चाल की भनक राजद प्रमुख लालू यादव को भी लग गई है। उन्होंने बसपा प्रमुख मायावती पर डोरे फेंके हैं। उन्होंने उन्हें राज्यसभा भिजवाने का भरोसा दिलाया है। खबर है कि लालू कह रहे हैं कि अगर मायावती राजद में आ जाएं तो उसके कोटे से राज्यसभा पहुंच सकती हैं। ऐसे में भाजपा और राजद खेमे अपने-अपने दांव चला रहे हैं, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें जो आगे निकलेगा, फायदा उसी का होगा। लालू अपने समधी मुलायम को भी भाजपा की साजिश का शिकार नहीं होने की सलाह दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि उन्होंने मायावती के जरिए बसपा खेमे में मुलायम के करीबियों से उन पर दबाव डलवाने की कोशिश की है। पहले तो लालू ने अपने दामाद को ही मुलायम को समझाने के लिए कहा था, लेकिन दामाद में यह कह कर इनकार कर दिया कि जब से अखिलेश ने मुलायम से पार्टी छीनी है, तब से वह बेटे-पोते की कोई बात नहीं सुनते। इसके बाद लालू ने दूसरे विकल्पों पर काम तेज कर दिया है। जो भी हो, आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति बेहद दिलचस्प होने वाली है।