यूपी में हिंसा भड़काने में पीएफआई का हाथ : उपमुख्यमंत्री
लखनऊ | उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के अन्य जिलों में हिंसा भड़काने में पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का हाथ सामने आया है। उन्होंने कहा कि पीएफआई सिम्मी का ही छोटा रूप है। इस संगठन का विदेशों में भी संपर्क हो सकता है।
लोक भवन में रविवार को प्रेसवार्ता में डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश में हुई हिंसा में सिमी के छोटे रूप पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया संगठन का हाथ हो सकता है। इसमें कई ऐसे लोग हैं, जो पूर्व में सिमी से जुड़े रहे हैं। उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के आरोपों को हास्यास्पद और गैर जिम्मेदाराना बताया। कहा कि सीएए पर अखिलेश के विचारों से उनका परिवार ही उनसे सहमत नहीं है। मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव कह रही हैं कि यह कानून बहुत अच्छा है। इससे वंचितों को उनका अधिकार मिला है। उन्होंने कहा कि सीएए से किसी को नुकसान नहीं होगा बल्कि दशकों से नागरिकता के अभाव का दंश झेल रहे हजारों हिन्दू, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी।
उन्होंने कहा कि 2014, 2017, 2019 और हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव में जिन्हें प्रदेश की जनता ने नकार दिया था वे लोग पर्दे के पीछे से प्रदेश में हिंसा को भड़का रहे हैं। कानपुर में सपा के विधायक हिंसा फैलाने वालों के साथ थे। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के 21 जिलों में हुए उपद्रव में 288 पुलिस कर्मी घायल हुए हैं। इनमें से 62 पुलिसकर्मी गोली लगने से घायल हुए हैं। उपद्रव में 15 लोगों की मौत हुई है। घटनास्थल पर 500 से ऊपर नॉन प्रतिबंधित बोर के तमंचे और खोखे बरामद हुए हैं। जिसका सीधा मतलब है कि इस प्रदर्शन को हिंसक बनाने का प्रयास किया गया।
उन्होंने कहा कि अभी तक 705 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। जबकि 4500 व्यक्तियों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई की गई है। सरकार निर्दोषों पर कोई कार्रवाई नहीं करेगी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई उपद्रवियों की संपत्ति को कुर्क कर की जाएगी। प्रदेश सरकार उपद्रवियों को चिन्हित कर नोटिस भेज रही है। प्रदेश की कानून एवं शांति व्यवस्था को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।