प्रयागराज में भी शाहीन बाग की तरह के विरोध में प्रदर्शन, बच्चों के साथ डटी हैं महिलाएं
प्रयागराज | नागरिकता कानून के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग की तरह प्रयागराज में भी प्रदर्शन जारी है। प्रयागराज के खुल्दाबाद में प्रदर्शन कर रहीं महिलाएं सोमवार को भी रात भर धरनास्थल पर डटी रहीं। काफी कोशिशों के बाद भी वह धरना खत्म करने को राजी नहीं हुई। इसके बाद उन्हें समझाने के लिए गई पुलिस फोर्स भी सुबह वापस लौट गई। रविवार दोपहर तीन बजे के करीब आसपास के इलाकों से जुटीं 100 से ज्यादा महिलाओं ने सीएए व एनआरसी के विरोध में खुल्दाबाद स्थित मंसूर अली पार्क में धरना प्रदर्शन शुरू किया था। सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर उन्हें हटाने की कोशिश की, लेकिन महिलाएं मानने को तैयार नहीं हुईं। भीड़ बढ़ती देख देर रात पीएसी भी बुलाई गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पुलिस का मानना था कि रात होते ही प्रदर्शन खत्म हो जाएगा। हालांकि, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
छोटे-छोटे बच्चों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहीं महिलाएं रात भर मंसूर अली पार्क में डटी रहीं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक रात में संख्या कुछ कम जरूर हुई, लेकिन सुबह होते ही फिर वहां अच्छी खासी भीड़ जमा हो गई। प्रदर्शन खत्म कराने की सारी कोशिशें नाकाम रहने के बाद पुलिस भी वापस चली गई। उधर सोमवार को भी धरनास्थल पर जुटीं महिलाओं ने सीएए व एनआरसी के विरोध में आवाज बुलंद की। उनका कहना था कि एनआरसी लागू होने के बाद असम में जिस तरह के हालात पैदा हुए, उससे साफ है कि इसे लागू करने वालों की नीयत सही नहीं है। रोशनबाग निवासी रूबीना का कहना था कि उनका विरोध न किसी पार्टी से है और न ही सरकार से। उनका विरोध सिर्फ इस बात का है कि हिंदुस्तान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को बिगाड़ने की कोशिशें की जा रही हैं।
सबीना अहमद ने बताया कि उनके पास अपनी नागरिकता के प्रमाण हैं। लेकिन, कम पढ़े-लिखे तमाम ऐसे लोग हैं, जिन्होंने जागरूकता के अभाव में इस तरह के दस्तावेज नहीं बनवाए। उनके यहां घरेलू काम करने वाली महिला भी इनमें से एक हैं, तो क्या ऐसे लोगों को देश में रहने का अधिकार नहीं। वह ऐसे लोगों के लिए इस प्रदर्शन में शामिल होने आईं हैं। उधर 24 घंटे बीतने के बाद भी धरना अनवरत चलता रहा। प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना था कि उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
धरना प्रदर्शन में मुस्लिम समुदाय के लोग तो थे ही, अन्य तबके के लोग भी पहुंचे। दोपहर में यहां वकीलों का भी एक समूह विरोध प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचा। जिसमें मुस्लिम के साथ ही अन्य वर्गों के भी अधिवक्ता शामिल थे। धरने पर बैठी महिलाओं को संबोधित करते हुए इन अधिवक्ताओं ने कहा कि यह किसी वर्ग या समुदाय विशेष का मामला नहीं, बल्कि अन्याय व मनमानी के खिलाफ हिंदुस्तानियों का विरोध प्रदर्शन है।