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फिर सुलगा सहारनपुर, योगीराज में बढ़ता जा रहा जातीय ज़हर

by admin
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सहारनपुर। उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के राज में यूपी में जातीय हिंसा का ज़हर बढ़ता जा रहा है | सहारनपुर के शब्बीरपुर से भड़की आग अब अन्य जिलो में भी सुलग रही है | संभल, मुरादाबाद और अलीगढ से खबरे कानून व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है | मंगलवार को बसपा सुप्रीमो मायावती के सहारनपुर से लौटने के बाद ठाकुरों ने दलितों पर हमला कर दिया जिससे हालात और बिगड़ गए हैं | योगी सरकार को स्थिति नियंत्रण करने में पसीना छूट रहा है | पिछले काफी दिनों से  पिछले काफी दिनों से राजपूतों और दलितों के बीच हो रहे संघर्ष के कारण सुलगता सहारनपुर आज एक बार फिर हिंसाग्रस्त हो गया। ताजा हिंसा में 5 लोगों को तलवार से काटकर गंभीर रुप से घायल कर दिया गया है, जबकि एक व्यक्ति को गोली लगी है। जिससे माहौल एक बार फिर तनावपूर्ण हो गया है।

सहारनपुर पहुंची बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने योगी आदित्यनाथ सरकार को दलित विरोधी बताते हुए स्पष्ट कहा कि प्रदेश मे जंगल राज कायम है। सहारनपुर के शब्बीरपुर मे पीड़ितों से मिलने के बाद उन्होंने कहा कि योगी सरकार दलित विरोधी है तथा वह शब्बीरपुर घटना की कड़े शब्दों में निन्दा करती हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भेदभाव पूर्ण नीति के साथ काम किया जा रहा है और सरकार अपने वायदों पर खरी उतरती नजर नहीं आ रही है। बताया जा रहा है कि मायावती के दौरे से पहले ही कुछ अज्ञात दलितों ने राजपूतों के घरों पर पत्थरबाजी और आगजनी की। बाद में मायावती के जाने के बाद राजपूतों ने तलवारें निकाल ली और शब्बीरपुर के नजदीक दूसरे गांव चंद्रपुरा में 5 दलितों को तलवारों से काटकर घायल कर दिया। वहीं एक व्यक्ति को गोली मार दी। घायलों में से 2 की हालत गंभीर बनी हुई है। एक व्यक्ति की मौत हो गयी है |  घटना के बाद हिंसा भड़कने की आशंका से शब्बीरपुर में राजपूतों की बस्ती को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। वहीं कई थानों सहित पीएससी की कई बटालियनों को घटनास्थल पर बुला लिया गया है और पूरे जिले में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए मेरठ से एडीजी आनंद कुमार सहारनपुर रवाना हो गए हैं।

भीम आर्मी द्वारा जन्तर मंतर पर विशाल प्रदर्शन के बाद से यूपी सरकार की बेचैनी बड़ी हुई है | सूबे भर में दलित और सवर्णों में तनाव की खबरे सरकार की मुश्किलें बड़ा सकती हैं | मायावती भी दलित उत्पीडन पर सतर्क हो गयी हैं और खुलकर मैदान में आ गयी हैं | 2019 के लिए यह तनाव भाजपा को भारी पड़ सकता है |

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