शांति व सौहार्द ही इंसानियत का धर्म, गोरखपुर में ‘बुद्ध से कबीर’ तक की यात्रा बनी उत्सुकता का केंद्र
राशिद अकेला/ गोरखपुर | आईपीएस गुजरात के डीजीपी डॉ. विनोद कुमार मल्ल की अगुवाई में शुरू हुई ‘बुद्ध से कबीर तक यात्रा शहर में उत्सुकता का केन्द्र रही। यात्रा का शहर में कई जगह स्वागत किया गया। शाम को रामगढ़ झील के नौकायन केन्द्र पर सभा के बाद यात्रा का समापन हुआ। इसके बाद डीडीयू में यात्रा के उद्देश्यों व प्रभाव को लेकर संगोष्ठी हुई, जिसमें वक्ताओं ने बुद्ध व कबीर के दर्शन पर अपने विचार व्यक्त किए। कहा कि शांति व सौहार्द ही इंसानियत का धर्म है और इसी धर्म पर चलकर सुख व शांति मिल सकती है।
यात्रा का शुभारंभ 14 फरवरी को मगहर से शुरू हुआ था। 15 फरवरी को यात्रा बुद्ध की निर्वाणस्थली कुशीनगर पहुंची। वहां से भगवान महाबीर की निर्वाण स्थली पावानगर जाने के बाद यात्रा 16 फरवरी को फिर मगहर पहुंची। कबीर की समाधिस्थल यात्रा का चौथा पड़ाव था। रविवार को यात्रा गोरखपुर पहुंची। यहां ‘सौ कदम चलें हमारे साथ आह्वान के साथ राजघाट पुल के पास शहर में यात्रा शुरू हुई। आईएएस रमारमण ने झंडी दिखा कर यात्रा को शहर भ्रमण के लिए रवाना किया। शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए शाम को यात्रा नौकायन केन्द्र पहुंची। यहां आयोजित सभा में आईपीएस विनोद मल्ल ने यात्रा के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। यात्रा को समर्थन देने वालों के प्रति आभार ज्ञापन किया और कहा कि शांति का संदेश लेकर यात्रा का प्रारंभ किया गया है। यह आयोजन हर साल होगा।
शाम को डीडीयू में इतिहास विभाग के साथ मिलकर संगोष्ठी व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। दीक्षा भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में ‘ढाई आखर प्रेम के विषय पर प्रो. असगर वजाहत व डॉ. विनोद कुमार मल्ल ने व्याख्यान दिया। यात्रा आयोजित करने वाली संस्था के शैलेन्द्र कबीर द्वारा बनाई गई डाक्युमेंट्री ‘बुद्ध से कबीर तक, यात्रा भारत की साझी विरासत की दिखाई गई। दूसरे चरण में कबीर संगीता का आयोजन हुआ जिसमें डॉ. मधुमिता भट्टाचार्या ने कबीर संगीत व प्रशस्ति तिवारी ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। संचालन देवयानी दूबे व आकृति विज्ञा ने किया। इस दौरान कई संगठनों लोग व डीडीयू के शिक्षक व छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।