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राकेश टिकैत की धरना वापसी से पहले सजाया गया गांव, मनाया जाएगा जश्न

  • December 16, 2021
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राकेश टिकैत की धरना वापसी से पहले सजाया गया गांव, मनाया जाएगा जश्न

नई दिल्ली। मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव के रहने वाले राकेश टिकैत पिछले एक साल से ये संकल्प लिए आंदोलन कर रहे थे कि जब तक तीनों कानून वापस नहीं हो जाते हैं, तब तक घर वापस नहीं जाना है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत पूरे एक साल बाद अपने गांव सिसौली लौट रहे हैं, ऐसे में उनके स्वागत में उनका गांव दुल्हन की तरह सजा दिया गया है। तीन कृषि कानूनों की वापसी के बाद आज दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर से हवन करने के बाद किसान फतेह मार्च के जरिए ट्रैक्टर ट्राली से सैकड़ों किसान राकेश टिकैत के साथ सिसौली के लिए रवाना होंगे।

गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों की वापसी के बाद दिल्ली की सीमाओं पर चलने वाला किसान आंदोलन वापस हो गया है और किसान अपने अपने जत्थों के साथ अपने घरों को रवाना हो चुके हैं। ऐसे में किसान नेता राकेश टिकैत ने ऐलान किया था, कि जब सभी किसान सकुशल अपने घरों तक पहुंच जाएंगे, तब वे आखिर में 15 दिसंबर को अपने घर जाएंगे। आज वो दिन है जब टिकैत अपने घर के लिए रवाना हुए हैं, ऐसे में उनके स्वागत में उनके गांव सिसौली को दुल्हन की तरह सजाया गया है।

मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव के रहने वाले राकेश टिकैत पिछले एक साल से ये संकल्प लिए आंदोलन कर रहे थे कि जब तक तीनों कानून वापस नहीं हो जाते हैं, तब तक घर वापस नहीं जाना है। जफ्फरनगर के सिसौली गांव के रहने वाले राकेश टिकैत पिछले एक साल से ये संकल्प लिए आंदोलन कर रहे थे कि जब तक तीनों कानून वापस नहीं हो जाते हैं, तब तक घर वापस नहीं जाना है।

भारतीय किसान यूनियन के नेता धर्मेंद्र मलिक कहते हैं कि किसानों ने अपने नेता राकेश टिकैट के सम्मान में गाजीपुर बॉर्डर से ही समूचे रास्ते सभी जिलों और ब्लॉकों में लंगर और स्वागत की तैयारियां कर रखी हैं। ये कारवां इन रास्तों से होता हुआ मुजफ्फरनगर के सिसौली पहुंचेगा, जहां लोगों में अपने नेता के आने को लेकर बेहद उत्साह है। गांव वाले कह रहे हैं कि किसान भवन पर दस क्विंटल लड्डू बन रहे हैं और भव्य लंगर की भी तैयारी हो रही है।

पिछले एक साल से अधिक समय से तीन कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों और किसान नेताओं में से काफी लोग लाल किले पर हुई घटना के बाद आंदोलन से हट गए थे, लेकिन बीकेयू नेता राकेश टिकैत डटे रहे और अंतत: कानून वापस लेने के बाद ही वहां से हटे। कानून वापस लेने के लिए सरकार को मजबूर करने के लिए राकेश टिकैत आज किसानों के लिए एक बड़ा चेहरा बन गए हैं।