निषाद पार्टी ने छोड़ा महागठबंधन का साथ, अखिलेश पर लगाए ये आरोप
सपा- बसपा- रालोद महागठबंधन को बड़ा झटका देते हुये शुक्रवार को निषाद पार्टी अपनी अलग राह चुनते हुए अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है। ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि निषाद पार्टी भाजपा का दामन थाम सकती है। गठबंधन से अलग होने की घोषणा करते हुए निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा कि गोरखपुर उप-चुनाव के समय सपा अध्यक्ष अखिलेश ने हमारे लिए सीट देने का वादा किया था लेकिन गठबंधन के वाद उन्होंने पोस्टर-बैनर तक में नाम नहीं दिया।
निषाद पार्टी के मीडिया इंचार्ज निक्की निषाद उर्फ रितेष निषाद ने कहा, ‘निषाद पार्टी अब समाजवादी पार्टी का हिस्सा नहीं रही। दोनों पार्टियों के बीच महाराजगंज लोकसभा सीट को लेकर मतभेद था, निषाद पार्टी इसे अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ना चाहती है जबकि समाजवादी पार्टी इसके लिये तैयार नही है। ‘ उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी के कार्यकर्ता समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं थे और पार्टी से इस्तीफा देना शुरू कर दिया था।
उन्होंने बताया,‘हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद गुरुवार शाम को लखनऊ गये और उसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि निषाद पार्टी अब गठबंधन का हिस्सा नहीं है। ‘उनसे पूछा गया कि सांसद प्रवीण निषाद ने भी समाजवादी पार्टी छोड़ दी है, इस पर उन्होंने कहा,‘मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है।‘इस बारे में जब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि उन्हें निषाद पार्टी के ऐसे किसी फैसले के बारे में कोई जानकारी नहीं है। अभी तीन दिन पहले निषाद (निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल) पार्टी ने मंगलवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेस में घोषणा की थी कि वह प्रदेश में महागठबंधन का हिस्सा होगी।
निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद है और उनके पुत्र प्रवीण निषाद ने 2018 के उपचुनाव में सपा के टिकट पर गोरखपुर से लोकसभा चुनाव जीता था। यह जीत इस लिये मायने रखती थी क्योंकि यह सीट उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपनी सीट थी और वह पहले कई बार इस सीट से सांसद रह चुके हैं। निषाद पार्टी के सूत्रों ने बताया कि उनकी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ गोरखपुर समेत अन्य सीटों के बारे में बात हो रही है।