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भलो भयो विधि ना दिए शेषनाग के कान, धरा मेरू सब डोलते तानसेन की तान ! पढ़िए ध्रुव गुप्त का यह आर्टिकल-

  • June 28, 2020
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भलो भयो विधि ना दिए शेषनाग के कान, धरा मेरू सब डोलते तानसेन की तान ! पढ़िए ध्रुव गुप्त का यह आर्टिकल-

संगीत सम्राट तानसेन भारतीय शास्त्रीय संगीत के शिखर पुरुषों में एक रहे हैं। ग्वालियर के हजरत मुहम्मद गौस और वृंदावन के स्वामी हरिदास के शिष्य तानसेन सम्राट अकबर के दरबारी गायक और उनके नवरत्नों में से एक थे उनकी गायन प्रतिभा के बारे में ‘आईने अकबरी’ में इतिहासकार अबुल फज़ल ने कहा है – ‘पिछले एक हज़ार सालों में उनके जैसा गायक नहीं हुआ।’ उनके गहरे मित्र और भक्त कवि सूरदास ने उनके बारे में लिखा है – भलो भयो विधि ना दिए शेषनाग के कान/धरा मेरू सब डोलते तानसेन की तान ! तानसेन का सांगीतिक व्यक्तित्व इतना बड़ा था कि उसके पीछे उनके व्यक्तित्व के दूसरे कई पहलू ओझल होकर रह गए। बहुत कम लोगों को पता है कि तानसेन अपने समय के एक बेहतरीन कवि भी थे। रसखान की तरह कृष्ण की भक्ति में आकंठ डूबे हुए कवि ।

तानसेन के कविकर्म के बारे में इतिहासकारों और साहित्य के आलोचकों ने नहीं लिखा। कविकर्म संभवतः तानसेन की महत्वाकांक्षाओं में शामिल नहीं था। वे स्वान्तःसुखाय लिखते थे और ज्यादातर अपनी ही लिखी बंदिशें ही गाते थे। उनकी कविताओं का विषय उस दौर के दूसरे कवियों की तरह भक्ति थी। कृष्ण के प्रति उनकी श्रद्धा को उस काल के अन्य कृष्णभक्त कवियों के समकक्ष रखकर देखा जा सकता है।उनकी कुछ काव्य कृतियों के नाम थे – रागमाला, संगीतसार और गणेश स्रोत्र। ‘रागमाला’ में उन्होंने कुछ दोहे भी लिखे थे, जिनमें से एक प्रसिद्द दोहा देखिए – सुर मुनि को परनायकरि, सुगम करौ संगीत / तानसेन वाणी सरस जान गान की प्रीत। तानसेन द्वारा रचित ज्यादातर रचनाएं अब उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन उनके कुछ पद संगीत की पुरानी किताबों में अब भी सुरक्षित हैं। तानसेन के दो पदों से आप भी रूबरू होईए !

एक /
चरन-सरन ब्रजराज कुंवर के
हम विधि-अविधि कछ नहिं समुझत, रहत भरोसे मुरलीधर के।
रहत आसरे ब्रज मंडल में, भुजा छांह तरुवर गिरधर के।
तानसेन के प्रभु सुखदायक, हाथ बिकाने राधावर के।

दो /
केते दिन गए री अलेखे आली, हरि बिनु देखे।
उरजु तपक नख-सिख कारन, नैन तपे बिनु देखे।
पतियां न पठावत है, आपु न आवत है, रही रही हों धोखे।
तानसेन के प्रभु सब सुखदायक, जीवन जात परेखे ।

-लेखक ध्रुव गुप्त, पूर्व आईपीएस और वरिष्ठ साहित्यकार हैं ।