पंजाब । उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की पुलिस और प्रशासन पर पकड़ समाप्त होने का आरोप लगाते हुए प्रदेश के सहारनपुर में पिछले महीने हुई हिंसा के मामले में वांछित भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण ने कहा है कि राज्य में दलितों के खिलाफ हिंसा पिछले दो-ढाई महीने में जितनी हुई है, उतनी तो पिछले एक साल में भी नहीं हुई थी। चंद्रशेखर ने जालंधर से करीब 50 किलोमीटर दूर कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उत्तर प्रदेश की सरकार पिछले ढाई महीने में दलितों के मसले पर पूरी तरह विफल साबित हुई है और अभी तक के कार्यकाल से ऐसा लगता है कि यह सरकार दलितों के लिए बहुत बुरी साबित होने वाली है।’’ चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री दलित मामले में शासन प्रशासन से बेखबर हैं और पुलिस तथा प्रशासन पर उनका वर्चस्व समाप्त हो चुका है और यही कारण है कि पिछले ढाई महीने में दलितों के खिलाफ हिंसा और अत्याचार के जितने मामले सामने आए हैं, उतने पिछले एक साल में भी नहीं हुए।’’ पेशे से अधिवक्ता चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘सहारनपुर में जो तांडव हुआ, उसके दोषियों को पकड़ने की बजाए प्रशासन निर्दोष लोगों को पकड़कर जेल में बंद कर रहा है, खासकर उनको जिनसे उस हिंसा का कोई लेना-देना नहीं है। ऐसा कर सरकार जानबूझकर दलित युवकों में आक्रोश पैदा कर रही है।’’ यह पूछने पर कि चुनाव में दलितों ने भी भाजपा को वोट दिया था, चंद्रशेखर ने कहा कि लोगों को तो यह लगता था कि भाजपा अच्छा काम करेगी।
भाजपा के नारे, ‘सबका साथ सबका विकास’ के बारे में चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘नहीं उत्तर प्रदेश में ऐसा नहीं है।’’ एक अन्य सवाल पर चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मौजूदा सरकार ने कसम खा रखी है और इसलिए दलितों को जेल में डाला जा रहा है तथा लोगों का भरोसा पुलिस और प्रशासन से उठता जा रहा है।’’ यह पूछने पर कि एक अधिवक्ता अचानक पुलिस को वांछित क्यों हो गया, उन्होंने कहा, ‘‘दलितों के हक के लिये आवाज उठाने को लेकर..लेकिन मुझे माननीय न्यायालय पर पूरा भरोसा है।’’ यह पूछे जाने पर कि न्यायालय पर भरोसा है तो आप समर्पण क्यों नहीं कर देते, चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘मैंने पहले दिल्ली में पुलिस को और फिर मजिस्ट्रेट को कहा था, लेकिन उन लोगों ने मना कर दिया। अब मैं चाहता हूं कि जेल में बंद 37 निर्दोष लोगों जमानत मिले तो मैं आत्मसमर्पण कर दूंगा।’’ भीम आर्मी की स्थापना के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि दलितों के खिलाफ अत्याचार और दलितों के साथ सामाजिक भेदभाव को देखते हुए ही वह अपना कॅरियर छोड़कर सामाजिक काम के लिए आगे आए और भीम आर्मी की स्थापना की जिसका काम दलितों का सामाजिक स्तर ऊंचा उठाना और बच्चों को पढ़ाना है। यह पूछने पर कि भीम आर्मी को धन कहां से मिलता है, उन्होंने कहा, ‘‘लोगों का भरोसा ही इसकी पूंजी है।’’