अलीगढ़ से बड़ी खबर : SHO समेत दस पुलिसकर्मियों पर अवैध हिरासत की FIR, हड़कंप
अलीगढ | पिसावा रियासत से छह साल पहले विदेशी हथियार, जेवरात, सिक्के व अन्य बेशकीमती उत्पाद चोरी होने का आज तक खुलासा तो नहीं हो सका। मगर, उस समय घटना के खुलासे में जुटी पुलिस के खिलाफ अवैध हिरासत में रखने और उत्पीड़न करने का मुकदमा अब दर्ज कराया गया है। इस मुकदमे में तत्कालीन थाना प्रभारी, एसओजी प्रभारी आदि सहित दस पुलिसकर्मी नामजद आरोपी हैं। यह मुकदमा सीबीसीआईडी जांच के आधार पर खुद सीबीसीआईडी आगरा की इंस्पेक्टर विद्योत्तमा शर्मा की ओर से पिसावा थाने में दर्ज कराया गया है।
इस मुकदमे में तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक कमलेश कुमार यादव, थाने के एसआई केके सिंह, सिपाही अमित कुमार अगिभनहोत्री, तत्कालीन एसओजी प्रभारी निरीक्षक रवि त्यागी, सिपाही वीरेश, राकेश, मोहन, सुखवीर, दुर्विजय, मुकेश कुमार नामजद हैं। कमलेश कुमार यादव वर्तमान में यहां डीसीआरबी में तैनात हैं। बाकी का गैरजनपद तबादला हो चुका है।
मुकदद्मे में आरोप है कि थाना पिसावा में 22 मार्च 2015 को चोरी का मुकदमा दर्ज किया गया, जिसकी विवेचना तत्कालीन एसओ ने की। उसी रात उसरह टप्पल के विनोद को हिरासत में थाने लाया गया। जब उसे छोड़ने का अनुरोध ग्रामीणों ने किया तो जवाब मिला कि जगवीर को यहां ले आओ, विनोद को छोड़ देंगे। इसके बाद 25 मार्च को ग्रामीण रामपाल व रवेंद्र जगवीर को थाने लेकर गए तो उसे भी बैठा लिया गया और विनोद को एसओ ने नहीं छोड़ा। बल्कि, रामपाल व रवेंद्र को थाने से डपटकर भगा दिया। इसके बाद 5 अप्रैल को विनोद को पुलिस हिरासत में सीने में दर्द हुआ तो पुलिस विनोद को उसके गांव छोड़ गई, जबकि जगवीर की हालत बिगड़ी तो उसे भी ग्रामीणों के सुपुर्द कर दिया। ग्रामीणों ने इन दोनों का इलाज कराया तो मेडिकल परीक्षण में इनके चोटों का उल्लेख आया। इस दौरान थाना पुलिस के अलावा नामजद एसओजी कर्मियों ने भी पूछताछ में यातनाएं दीं। इसी वजह से पीड़ितों के चोट आई हैं। साथ में इन दोनों को अवैध हिरासत में रखने के झूठे तस्करे भी जीडी में दर्ज किए गए। इन आरोपों के संबंध में पीड़ित पक्ष की शिकायत पर सीबीसीआईडी को जांच सौंपी गई। जांच के आधार पर यह मुकदमा अब आकर दर्ज हुआ है। इंस्पेक्टर पिसावा जितेंद्र सिंह भदौरिया ने मुकदमे की पुष्टि की है और बताया कि अब थाना पुलिस विवेचना कर रही है।
ये है मामला-
जिस वक्त पिसावा रियासत से चोरी हुई थी। उस वक्त खुद राजा पिसावा ने ये कहा था कि वे परिवार के साथ दिल्ली रहते हैं। यहां देखभाल के लिए नौकर जगवीर व उसका परिवार रहता है। इसी क्रम में तत्कालीन पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर चोरी के खुलासे के लिए जगवीर व उसके परिजनों को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। एसओजी को भी पूछताछ के लिए लगाया गया था। बाद में कोई सुराग न मिलने पर आज तक इस चोरी का खुलासा नहीं हुआ।