होली विशेष : …तो बोलो सरारा, यूपी में रंग बुलडोजर से बरसे !
इस होली पर यूपी में यह लाइनें बुरा न मानों होली है कहकर खूब वायरल हुई हैं |
योगी आदित्यनाथ:
मस्त मलंग हो रही होली, देख विपक्षी तरसे।
यूपी में रंग बाबा जी के बुलडोजर से बरसे।
जितने थे रंगबाज न बाहर निकले अपने घर से।
खुद ही कालिख पोत के मुंह पर, दुबके बैठे डर से।
बोलो सारारारा..!
अखिलेश यादव:
साइकिल में दो कैन बंधे हैं, जिनमें रंग भरा है।
ऊपर ढक्कन लाल कलर के, अंदर रंग हरा है।
बैठ सीट पर फाग गा रहे, संग जयंत की टोली।
नेताजी के बिना लग रही फीकी-फीकी होली।
बोलो सारारारा..!
सुश्री मायावती:
क्या ही होली थी, नीले रंगों की थीं बौछारें।
सोच रही हैं आज बहन जी, कहां गए होलियारे?
बैठीं सूखा रंग पोतकर, हौदा रखा किनारे।
गैरों की टोली में अब हाथी के साथी सारे।
बोलो सारारारा..!
स्वामीप्रसाद मौर्य्र:
टोली बदली, बोली बदली, होली लगी पराई।
नए राग में, नए फाग के सुर दे रहे सुनाई।
‘ताड़’ रहे हैं रंगबाजों को, ऐसी भंग चढ़ाई।
‘स्वामी’ गोस्वामी बाबा की बांच रहे चौपाई।
बोलो सारारारा..!
ओमप्रकाश राजभर:
हर होली में बदल लिया करते हैं सखी-सहेली।
किसके संग रंग कब खेलेंगे, यह है एक पहेली।
अभी गुलाल लगाया, कीचड़ अगले मिनट उछालें।
‘राज’ समझना मुश्किल, आज किसे पकड़ें, रंग डालें।
बोलो सारारारा..!
शिवपाल यादव:
रंग खेलकर देख चुका मैं अलग बनाकर टोली।
सुनो भतीजे, सबसे अच्छी अपनों के संग होली।
गोप-गोपियां ग्वाल-बाल सब लाल टोपियां धारे।चाचा आगे, पीछे सारे, ठुमके सपा दुआरे।
बोलो सारारारा..!
बृजलाल खाबरी:
मैं कांग्रेस अध्यक्ष बन गया, बिना रंग-पिचकारी।
नाम खाबरी, अपनों को ही खबर नहीं है, सॉरी।
चुटकी भर अबीर लाया हूं, मैं ‘पंजे’ में भरकर।
कहां उड़ाऊं, यहां कलर से अटे पड़े सबके घर।
बोलो सारारारा..!
साभार- तरुण मित्र, छल-छंदकार: सूर्यकुमार पांडेय