इलाहाबाद : राष्ट्रीय शिल्प मेला 2017 का एनसीजेडसीसी में हुआ भव्य शुभारम्भ ,मण्डलायुक्त डॉ. आशीष कुमार गोयल ने शिल्प मेला का किया उद्घाटन

शशांक मिश्रा:-
राष्ट्रीय शिल्प मेला 2017 का भव्य आयोजन उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र (NCZCC) के प्रांगण 11 दिसम्बर 2017 तक किया गया जिसका औपाचरिक उद्घाटन आज सांय 4 बजे इलाहाबाद के मण्डलायुक्त डॉ. आशीष कुमार गोयल ने गणेश पूजन के साथ किया। विभिन्न प्रदेशों के नृत्य एवं संगीत की प्रस्तुतियों के बीच यह उद्घाटन सामोरह राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता का अद्भभूत नमूना बन गया था। राजस्थान, मध्य प्रदेश, कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दक्षिण भारत के लोक नतृकों एवं वाद्यों समूह एक साथ पंक्तिबद्ध होकर अपनी प्रस्तुतियां देते हुए मण्डलायुक्त के साथ चल रहे थे।
उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र (NCZCC) के प्रांगण में एक साथ पूरा सांस्कृतिक भारत मूर्तिमान नजर आ रहा था। मेले में देश के हर कोने से आये शिल्पकारों ने अपनी कारीगरी से भरे स्टाल सजाये रखे थे जिसमें हाथ से बने लकड़ी, पीतल की मूर्तियां, लाख के गहने, बंनारस की सिल्क, उड़िसा के मधुबनी आर्ट, राजस्थान की जरी और जरदौरी का काम, उत्तर प्रदेश का टेराकोटा जहां आकर्षण का केन्द्र बन रहे थे वहीं हर प्रदेश के स्वादिष्ट व्यंजन पूरे भारत की इन्द्रधनुषी संस्कृति एवं समरश सभ्यता का परिचय दे रहे थे।
मण्डलायुक्त ने मेले के प्रत्येक स्टाल पर जाकर हस्तशिल्पियों से उनके कारीगरी के गुर बारीकी से जाने तथा उनकी प्रस्तुतीकरण की तारीफ करते हुए उनका हौसला भी बढ़ाया । मेले का भ्रमण करते हुए मण्डलायुक्त ने उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र (NCZCC) के निदेशक नरेन्द्र सिहं को यह सुझाव दिया कि मेला परिसर को और अधिक आकर्षक एवं सुरम्य बनाये जाने के लिए इसमें हरियाली बढ़ायी जाय तथा प्रागंण को हरे भरे लॉन के रूप में विकसित किया जाय। मेले की भव्यता और विविधता की सरहाना करते हुए मण्डलायुक्त ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन भारतवासियों को एक सांसकृतिक सूत्र में पिरोये रखने में सहायक होते है तथा भारत की इन्द्रधनुषी संस्कृति का परिचय समय-समय पर देशवासियों और आने वाले विदेशी पर्यटकों को भी देते रहते है। इससे हमारी संस्कृति में विभिन्न रंगों का परिचय मिलता है और हम जान पाते है कि हम कितने समृद्ध और सुसंस्कृत देश के निवासी है।
एकरूपता ही हमारी भारतीय संस्कृति की वह पहचान है जो पूरी दुनिया से हमें अलग और सर्वक्षेष्ठ बनाती है। हमारे इन्ही हस्तशिल्पियों की वजह से हमारे देश दुनिया का सबसे समृद्ध देश रहा है और सोने की चिड़िया कहा जाता रहा है। मण्डलायुक्त ने कहा कि भारतीय हस्तशिल्पि को वर्तमान परिवेश आधुनिक जरूरतो के अनुरूप और निखारने की जरूरत है तथा इसे अन्तर्राष्ट्रीय बाजार तक ले जाकर भारत की सांस्कृतिक समृद्धि का अनुभव पूरी दुनिया को करवाने की जरूरत है। इस तरह के राष्ट्रीय शिल्प मेला इस प्रयास के रूप में एक सार्थक कड़ी साबित हो सकता है।