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साहित्य

पढ़िए दिल को छूती यह कविता – ‘चल समाधान कर लें दिल का, वरना प्यासे मर जायेंगे’

  • February 27, 2018
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पढ़िए दिल को छूती यह कविता – ‘चल समाधान कर लें दिल का, वरना प्यासे मर जायेंगे’

जीतपाल सिंह यादव –

बिकता नहीं कोई ख्वाब मीठा, मीठी बातें बिक जाती हैं।
मैं जितना तुझसे दूर रहूं, उतनी यादें बढ़ जातीं हैं।
सीमित भावों के मिलन एक दिन, प्रेम के गीत सुनायेंगे।।
चल समाधान कर लें दिल का, वरना प्यासे मर जायेंगे।।

जितना रोचक रोशन चेहरा गुस्से में गुलाबी लगता है।
उतना जालिम ब्यूटी पार्लर में भी जाकर नहीं सजता है।
जब हंसते हो यह लगता है, आकाश सुमन बरसायेंगे।
चल समाधान कर लें दिल का वरना प्यासे मर जायेंगे।।

तेरे जाने के बाद यार, हर रोज सोचता हूँ मन में।
तुम आ जाओ कहीं ख्वाबों में, दीदार मनन हो इस तन में।
तेरी यादों का ताज महल, हम दिल में रोज बनायेंगे।
चल समाधान कर लें दिल का, वरना प्यासे मर जायेंगे।।

तेरी आँखों में देख मुकम्मल, होती थीं मेरी नींदें।
अब पतझड़ सा सावन आता, रह जाते हैं मन को बींधें।
तेरी परछांई से अब भी सारी रातें बतलायेंगे।
चल समाधान कर लें दिल का वरना प्यासे मर जायेंगे।।

छोटी सी एक जिन्दगी है, पतवार बहुत हैं काँटे से।
हर महफिल में गुमसुम रहते, टूटे टुकड़ों में बांटे से।
चांदों की रात आज भी ज्यों काली अंधियारी लायेंगे।
चल समाधान कर लें दिल का वरना प्यासे मर जायेंगे ।।

– लेखक बंजरपुरी पवासा, जिला-सम्भल, उत्तर प्रदेश से हैं |