UP में BSP और कांग्रेस में नहीं होगा गठबंधन !
लखनऊ । प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए नया गठबंधन तैयार करने की कांग्रेस की मुहिम को झटका लगा है। बसपा उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ आने को तैयार नहीं है। इसके लिए जहां पुराने अनुभव को सामने रखा जा रहा है तो वहीं अहम रोड़ा पंजाब का चुनाव है जिसमें कांग्रेस और बसपा आमने-सामने हैं। यूपी में कांग्रेस नए साथियों की तलाश में है। इसकी एक झलक दिखी 31 अक्तूबर को जब रालोद प्रमुख चौधरी जयंत सिंह की कांग्रेस से नजदीकियां नजर आईं। लखनऊ से दिल्ली लौटते समय जयंत सपा प्रमुख अखिलेश यादव की फ्लाइट छोड़कर कांग्रेस के निजी विमान से प्रियंका गांधी के साथ दिल्ली लौटे।
चर्चा रही कि कांग्रेस की ओर से जयंत को पंजाब में सीटों से लेकर राज्यसभा भेजने तक का ऑफर दिया गया। सीधे तौर पर जयंत ने इससे इंकार भी नहीं किया पर मशक्कत यह थी यह गठबंधन तभी परवान चढ़ सकेगा जब इसमें बसपा भी शामिल हो। कांग्रेस-बसपा गठबंधन न होने का बड़ा कारण है पंजाब विधानसभा चुनाव जो यूपी के साथ ही होने जा रहा है। वहां बसपा का शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन है। 117 सीटों में से शिरोमणि अकाली दल ने 20 सीटें बसपा को दी हैं। इन सभी सीटों पर बसपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस से हैं।
इनमें से 18 सीटों पर तो हाल में कांग्रेस के ही विधायक हैं। हालांकि, सीटों के बंटवारे को लेकर पंजाब में भी असंतोष है। कुछ बसपाई कह रहे हैं कि अकाली दल ने ऐसी सीटें बसपा को दी हैं, जिनपर बसपा का जनाधार कम है। इनमें पचास प्रतिशत सीटों पर तो उसका काडर वोटर बेहद कम है। दलितों पर दांव को लेकर बसपा कांग्रेस से अदावत मानकर चल रही है। इनमें अहम कारण यह है कि पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने वहां बड़ा दलित कार्ड खेला जबकि वहां कांग्रेस व बसपा आमने-सामने हैं। इतना ही नहीं, लखीमपुर खीरी में चन्नी की जबरदस्त आमद कराई गई और उन्होंने यहां तिकुनिया प्रकरण के पीड़ित किसानों को 50-50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी। बसपा मानकर चल रही है कि कांग्रेस का यह निशाना पूरी तरह से बसपा के काडर वोटर को साधने के लिए है।