योगी सरकार के निशाने पर हैं बेगुनाह मुस्लिम नौजवान : रिहाई मंच
लखनऊ। रिहाई मंच ने योगी आदित्यनाथ के निपटा देने वाले बयान पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि योगी ने इसके पहले ठोंकने का आह्वान किया था तो उनकी पुलिस ने सरेराह विवेक तिवारी को मार दिया। भीड़ के नाम पर हमले करने वाले सत्ता संरक्षित आतंकियों ने बुलंदशहर में इंस्पेक्टर की दौड़ा कर हत्या कर दी और योगी पूरे देष में घूम-घूमकर कह रहे हैं कि उनके शासन में दंगे नहीं हुए, माॅब लिंचिग नहीं हुई।
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि 14 जनवरी को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उसकी निगरानी में विशेष जांच दल के गठन के सम्बंध में उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस किए जाने के बावजूद ठोंक देने के बाद निपटा देने वाला योगी का बयान साफ करता है कि यूपी में फर्जी मुठभेड़ों के लिए सिर्फ पुलिस ही नहीं बल्कि योगी आदित्यनाथ सीधे जिम्मेदार हैं। जिन मुठभेड़ों पर योगी खुद की पीठ थपथपा रहे हैं उसमें दलित, पिछड़े और मुसलमान सबसे ज्यादा मारे गए हैं। योगी के निपटाने-ठोंकने वाला बयान कानून के खिलाफ ही नहीं बल्कि कानून तोड़ने वाला भी है। यह हत्या के लिए पुलिस को प्रोत्साहित करता है जो जुर्म है। क्योंकि पुलिस का काम अपराधी को गिरफ्तार करके मुकदमा कायम करना है न कि ठोंकना या निपटाना। मंच ने कहा कि गणतंत्र दिवस के मौके पर अपनी उपलब्धियों के रुप में 80 से अधिक लोगों के मुठभेड़ों में मारे जाने की सूची जारी करते हुए योगी को ईमानदारी से बताना चाहिए कि इनमें से अधिकतर मुठभेड़ों पर मानवाधिकार आयोग की जांच के साथ पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में है।
मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि कुंभ में आतंकी हमले की साजिश के नाम पर योगी सरकार कुंभ में फैली अव्यवस्था को छुपाकर सांप्रदायिक धु्रवीकरण कराने पर तुली है। आतंकवाद के नाम पर मुंबई की गिरफ्तारियों पर निपटा देने वाला बयान साफ करता है कि योगी सरकार के निशाने पर बेगुनाह मुस्लिम नौजवान हैं जिन्हें वो चुनावी फायदे के लिए आतंकवाद के नाम पर फर्जी मुठभेड़ो में मार गिरा सकती है। यह सिर्फ संयोग नहीं बल्कि साजिश है कि वसीम रिजवी मदरसों को आईएस जैसे आतंकी संगठन से जोड़ते हैं और दूसरे दिन गोंडा में मदरसा शिक्षक के यहां छापेमारी कर दी जाती है। ठीक ऐसे ही लखनऊ में सैफुल्लाह को फर्जी मुठभेड़ में मारकर भाजपा ने सत्ता की सीढ़ी चढ़ी। उन्होंने कहा कि योगी जो बयान मीडिया में देते हैं कोर्ट में आखिर क्यों मुकर जाते हैं- चाहे वो ठोंकने का बयान हो या फिर 2007 में गोरखपुर हेट स्पीच मामला हो।
मंच ने महाराष्ट्र से कुंभ में केमिकल अटैक को लेकर हुई गिरफ्तारियों पर कहा कि गणतंत्र दिवस के नाम पर जिस तरह का आतंकवाद का खौफ सरकार खड़ा कर रही है उसकी सच्चाई अमरोहा में जगजाहिर हो गई। जिसे एनआईए राकेट लांचर कह रही थी वो ट्रैक्टर का हाईड्रोलिक पंप निकला। मुंबई से हुई गिरफ्तारियों पर एटीएस का यह कहना कि गणतंत्र दिवस से पहले कुंभ में खाने-पीने में जहरीला केमिकल मिलाकर सामूहिक नरसंहार की साजिश रची जा रही थी, समाज को आतंकित करने वाला है। गणतंत्र दिवस से पहले कुंभ में हमले की बात कहकर एटीएस ने साफ कर दिया कि वो सुरक्षा एजेंसी न होकर सरकार के प्रचार अभियान का हिस्सा है जो राष्ट्रवाद और धर्म के नाम पर समाज में विघटन पैदा कर रहा है। आरोप यह है कि वे औरंगाबाद और मुंब्रा में किसी समारोह के दौरान खाने-पीने की वस्तुओं में जहर मिलाने की कोषिष में थे जो गणतंत्र दिवस से पहले कुंभ की पुलिसिया कहानी से अलग है।