विधानसभा चुनाव 2022: मुख्तार अंसारी ने अपने बेटे अब्बास अंसारी को सौंपी विरासत
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार बाहुबली मुख्तार अंसारी चुनाव नहीं लड़ेंगे। यूं कहें तो उन्होंने अपने बेटे लिए मऊ सदर की सीट खाली की है जहां लगभग ढाई दशक से वह लगातार जीतते चले आ रहे थे। पिछले चुनाव में चली मोदी लहर में जब कई दिग्गज धराशयी हो गए उस समय भी मुख्तार ने मऊ सदर सीट से जीत हासिल की। मुख्तार अंसारी को लेकर हालांकि बीजेपी भी लगातार अखिलेश यादव पर हमलावर थी। बीजेपी का आरोप था कि अखिलेश सत्ता पाने के लिए अपराधियों की शरण में जा रहे हैं। हालांकि मुख्तार अंसारी को सुभासपा से टिकट मिला था जो सपा की सहयोगी पार्टी है लेकिन अब उनकी जगह अब्बास अंसारी चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में सवाल यह भी है कि क्या मुख्तार अंसारी ने राजनीति से किनारा कर लिया है या वह एमएलसी के चुनाव में अपनी किस्मत आजमाएंगे।
बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने समाजवादी पार्टी गठबंधन सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के उम्मीदवार के रूप में मऊ सदर विधानसभा सीट से सोमवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। फॉर्म भरने के बाद अब्बास अंसारी ने कहा, ‘प्रशासन मेरे पिता (मुख्तार अंसारी) के नामांकन में रोड़ा अटका रहा है, जिसके कारण मुझे फॉर्म भरना पड़ा। तब से जेल में बंद है और नामांकन पत्र दाखिल करने में बाधा उत्पन्न कर रहा है। इसलिए मैंने सुभासपा के चिन्ह पर दो सेटों में अपना नामांकन दाखिल किया है। उन्होंने कहा, ‘इस बार मैं लोगों के मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में उतर रहा हूं। सुभासपा ने इस सीट से मुख्तार अंसारी को अपना उम्मीदवार घोषित किया था।
1996 से बाहुबली मुख्तार अंसारी मऊ जिले के सदर विधानसभा क्षेत्र से लगातार पांच बार विधायक चुने गए हैं। मुख्तार अंसारी की जगह इस बार उनके बेटे अब्बास अंसारी ने नामांकन दाखिल किया है। गौरतलब है कि अब्बास अंसारी ने 2017 का विधानसभा चुनाव घोसी विधानसभा सीट से लड़ा था, जिसमें उन्हें दूसरा स्थान मिला था। फागू चौहान ने उन्हें हराया था। फागू चौहान वर्तमान में बिहार के राज्यपाल हैं। अपनी सीट खाली करने के बाद, उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने विजय राजभर को जीतकर फिर से उसी सीट पर जीत हासिल की और उस सीट को बरकरार रखा।
सुभासपा के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर मुख्तार अंसारी के बेटे के साथ बांदा जेल में उनसे मुलाकात कर चुके हैं। लौटते वक्त चेकिंग पर भड़कने का मामला भी सामने आया था। ऐसे में पहले से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि मुख्तार या उनका बेटा सुभासपा के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं। मुख्तार इस सीट से पिछले ढाई दशक से जीतते रहे हैं और पिछली बार भी मोदी लहर भी वह जीतने में कामयाब रहे थे। इसलिए इस बार भी चुनावी समर में उनकी लड़ाई काफी कड़ी हो गई थी। बीएसपी ने जहां मऊ सदर सीट से प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को मैदान में उतारा है वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने अशोक सिंह को मैदान में उतारा है। यह वही अशोक सिंह हैं जिनके भाई मन्ना सिंह हत्याकांड में मुख्तार का नाम सामने आया था।
सियासत का माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले मुख्तार अंसारी इतनी जल्दी राजनीतिक मैदान से हट जाएंगे और अपनी विरासत अपने बेटे को सौंप देंगे इसका अंदाजा किसी को नहीं था। अंसारी का पूरा परिवार ही राजनीति में माहिर माना जाते हैं। उनके बड़े भाई अफजाल अंसारी फिलहाल गाजीपुर सीट से बसपा से सांसद हैं। उन्होंने बीजेपी के दिग्गज नेता मनोज सिन्हा को हराया था। उनके दूसरे भाई सिबगतुल्लाह अंसारी भी गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से विधायक रह चुके हैं। पिछली बार मोदी लहर में वह बीजेपी प्रत्याशी अलका राय से चुनाव हार गए थे। हालांकि इस बार वह सपा के टिकट पर अलका राय को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। दूसरी ओर राजनीतिक पंडितों की माने तो मुख्तार अंसारी विधान परिषद का चुनाव लड़ सकते हैं। चुनाव आयोग ने यूपी में 36 सीटों के लिए अधिसूचना जारी की थी। इसके चुनाव भी जल्द होने हैं और ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि वह भी अब अपने कट्टर प्रतिद्वंदी ब्रजेश सिंह की तरह एमएलसी का ही चुनाव लड़ेंगे।