बेबाक, निष्पक्ष, निर्भीक
May 19, 2024
ब्लॉग विचार

‘सहानुभूति की भीख मांगने से बेहतर है कि पत्थरबाजों,आतंकियों,नक्सलियों और गौ-रक्षक वहशियों को निर्ममता से कुचल डालिए’

  • June 27, 2017
  • 1 min read
‘सहानुभूति की भीख मांगने से बेहतर है कि पत्थरबाजों,आतंकियों,नक्सलियों और गौ-रक्षक वहशियों को निर्ममता से कुचल डालिए’

पाकिस्तान में बैठ कर कश्मीर में आतंकी गतिविधियों का संचालन करने वाले सलाहुद्दीन को अमेरिका ने वैश्विक आतंकी घोषित कर दिया तो इसमें इतना खुश होने की क्या बात हो गई ? इसके पहले भी हाफ़िज़ सईद सहित कई पाकिस्तानी आतंकियों को वह ग्लोबल आतंकी घोषित कर चुका है। हमारे देश के लिए कहीं कोई फ़र्क पड़ा ? ‘हम आतंक से मिल कर लड़ेंगे’, ‘हम मिल कर आतंक का खात्मा करेंगे’ – ये ऐसे घिसे-पिटे वक्तव्य हैं जो दो राष्ट्राध्यक्षों के मिलने के बाद अक्सर ज़ारी किए ही जाते हैं। सच यह है कि हर देश सिर्फ अपने शत्रु आतंकियों के ख़िलाफ़ लड़ता है। भारत के आतंकी भारत की समस्या हैं। उनसे निबटने के लिए अमेरिका, जापान, फ्रांस या कोई भी दूसरा देश आगे नहीं आने वाला। आतंक के ख़िलाफ़ अपने हिस्से की लड़ाई आपको खुद लड़नी है – यह बात जितनी जल्दी समझ आ जाए उतना अच्छा।

हमारा देश आतंक से दो-दो हाथ करने में सक्षम है। कटोरा लेकर दूसरे मुल्कों से मदद या सहानुभूति की भीख मांगने से बेहतर है कि दृढ निश्चय कर कश्मीर में आतंकियों, अलगाववादी हुर्रियत नेताओं और हाथ में पाकिस्तान या आई.एस का झंडा लेकर पत्थरबाजी करने वालों पर बेरहमी से टूट पड़िए ! उन्हें पाकिस्तान या दूसरे देशों से आने वाले धन के स्रोत काट डालिए ! पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करिए ! और हां, यह भी याद रखिए कि देश में आतंक सिर्फ कश्मीर में नहीं है। देश के दूसरे हिस्सों में नक्सलवाद के नाम पर नरसंहार करने वाले दरिंदों, गोरक्षा के नाम पर मुसलमानों की हत्या का बर्बर अभियान चलाने वाले गोरक्षक वहशियों और धर्म के नाम पर देश की जड़ों को काटने वाले धार्मिक उन्मादियों को भी उसी निर्ममता से कुचल डालिए। 

यह देश आज़ादी के बाद अभी अपने अस्तित्व के सबसे बड़े संकट से गुज़र रहा है। देश को बचाना है तो कुछ कठोर और अप्रिय क़दम उठाने होगे। आप शुरुआत तो कीजिए, दुनिया के तमाम देश आपसे सबक भी लेंगे और आपके समर्थन में आगे भी आएंगे। अभी तो दुनिया की नज़रों में आप आतंकियों के ‘सॉफ्ट टारगेट’ और दया के पात्र ही बने हुए हैं !

– पूर्व आईपीएस ध्रुव गुप्त के फेसबुक वॉल से