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संसद में इस बार चलेगा UP के इटावा का सिक्का ! इन सांसदों ने बनाया रिकॉर्ड-

  • June 8, 2024
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संसद में इस बार चलेगा UP के इटावा का सिक्का ! इन सांसदों ने बनाया रिकॉर्ड-

नई दिल्ली | इस बार एक रिकॉर्ड इटावा के नाम हो गया है | इस बार संसद में इटावा का सिक्का बुलंद है | जिले के रहने वाले नौ सांसद लोकसभा और राज्यसभा में अलग-अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। पहली बार लोकसभा से सात लोग पहुंचे हैं। राज्यसभा में जिले के दो सदस्य पहले से हैं। देश में 28 राज्य और आठ केंद्र शासित प्रदेश हैं। इनमें कुल 797 जिले हैं। मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार की वजह से इटावा की इन सभी जिलों में पहले से ही अलग धाक रही है। लेकिन इस बार संसद में इटावा सबसे मजबूत है। जहां एक ओर सपा ने लोकसभा में ऐतिहासिक प्रदर्शन करके 37 जीती हैं। वहीं इनमें से सात सांसद इटावा से ही हैं।

अकेले सैफई से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के परिवार से ही वह स्वयं कन्नौज से, उनकी पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी से, चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव आजमगढ़ से, चचेरे भाई अक्षय यादव फिरोजाबाद से, चचेरे भाई आदित्य यादव बदायूं से सांसद बने हैं। दूसरी ओर, इटावा के सांसद जितेंद्र दोहरे के साथ ही एटा के सांसद देवेश शाक्य भी इटावा के निवासी हैं। वहीं राज्यसभा में प्रो. रामगोपाल यादव और भाजपा से गीता शाक्य राज्यसभा सदस्य हैं। गीता शाक्य का पैतृक गांव भरथना क्षेत्र का सिन्हुआ है। वह वर्तमान बिधूना में बनवाए नए आवास में रहती हैं।

अखिलेश यादव-
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेटे और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। मुलायम सिंह परिवार के सबसे बड़े बेटे हैं। 2012 से 2017 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। 2022 में विधानसभा करहल से विधायक बने थे। साथ ही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए वह कन्नौज से चुनाव लड़े और यहां से भी लगभग 1.70 लाख वोटों से बड़ी जीत दर्ज की है।

डिंपल यादव-
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की पुत्र वधु और अखिलेश यादव की पत्नी हैं। 2012 में वह कन्नौज में हुए उपचुनाव में निर्विरोध सांसद बन चुकी हैं। 2022 में मुलायम सिंह के निधन के बाद मैनपुरी में हुई रिक्त सीट से उपचुनाव में सपा की तरफ से उन्होंने चुनाव लड़ा था। उस समय उन्होंने लगभग 2.88 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी सपा ने उन्हें ही चुनाव लड़ाया था। इस बार उन्होंने 2.21 लाख वोटों से जीत दर्ज की है।

धर्मेंद्र यादव-
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव से तीन साल छोटे भाई अभयराम यादव के बेटे हैं। अभयराम यादव राजनीति से दूर हैं और वह गांव में खेती-बाड़ी का काम देखते हैं। मुलायम सिंह यादव ने 2004 में अपनी पैतृक सीट मैनपुरी देकर पहली बार धर्मेंद्र यादव को सांसद बनाया था। इसके बाद वह एक मैनपुरी और एक बार बदायूं के सांसद रहे। 2019 में उन्हें भी बदायूं से हार का सामना करना पड़ा था। 2022 में उन्हें आजमगढ़ से टिकट दिया गया था। यहां से उन्होंने 1.61 लाख वोटों से जीत दर्ज की है।

अक्षय यादव-
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई और सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल के बेटे हैं। अक्षय 2014 से 2019 तक फिरोजाबाद से सांसद रह चुके हैं। 2019 में भी सपा ने फिरोजाबाद से ही उन्हें प्रत्याशी बनाया था, लेकिन उस समय परिवार में फूटन की वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस बार भी सपा ने उन्हें फिरोजाबाद से ही टिकट दिया था। उन्होंने 89312 वोटों से जीत दर्ज की है।

आदित्य यादव-
सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव के बेटे हैं। सपा ने इस बार बदायूं में कार्यकर्ताओं की नाराजगी को देखकर शिवपाल सिंह यादव को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा था। शिवपाल सिंह यादव के मैदान में आने के बाद बदायूं के लोगों की नाराजगी दूर हो गई थी। कुछ दिन बाद पार्टी की ओर से शिवपाल के स्थान पर उनके स्थान पर आदित्य यादव को टिकट दिया था। आदित्य ने यहां से तमाम खींचतान के बीच लगभग 35 हजार वोटों से जीत दर्ज की है।

जितेंद्र दोहरे-
महेवा ब्लाक के सुनवर्षा गांव के मूल रूप से निवासी हैं। लगभग 20 साल से वह शहर में ही घर बनाकर रह रहे हैं। वह बसपा की पृष्ठभूमि से हैं। 2005 से लेकर 2020 तक बसपा में जिलाध्यक्ष, जिला महासचिव समेत तमाम पदों पर रहे हैं। 2020 में वह सपा में शामिल हुए। इसके बाद 2018 में हुए चुनावों में उनकी पत्नी ने सपा के टिकट से महेवा ब्लाॅक प्रमुख के रूप में जीत दर्ज की थी। 2024 में सपा ने उन्हें सांसद का टिकट दिया था। उन्होंने लगभग 58 हजार वोटों से जीत दर्ज की है।

देवेश शाक्य-
बसपा सरकार में 2002 में बिधूना से विधायक और बाढ़ सहायता मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहे विनय शाक्य के भाई हैं। देवेश शाक्य भी मूल रूप से शुरुआत में बसपा में रहे हैं। वह लंबे समय से शहर के शांति कॉलोनी में रह रहे हैं। 2017 में दोनों भाई भाजपा में आ गए थे। 2022 में बदलाव करके स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ दोनों भाई सपा में आ गए थे। तब से वह यहीं हैं। देवेश शाक्य दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। 2012 में विधायक का चुनाव लड़े लेकिन जीत नहीं मिली थी। इस बार सपा ने उन्हें एटा से प्रत्याशी बनाया था। और उन्होंने लगभग तीस हजार वोटों से जीत दर्ज की है।

प्रो. रामगोपाल यादव-
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई और प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव हैं। वह सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। मुलायम सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सपा में राजनीति की शुरुआत की है। वर्तमान में सपा की ओर से राज्यसभा के सदस्य हैं।

गीता शाक्य-
औरैया के बिधूना के हमीरपुर गांव में जन्मी गीता शाक्य का भरथना क्षेत्र के सिन्हुआ गांव में शादी हुई थी। शिक्षिका गीता शाक्य सन 2000 में राजनीति में सक्रिय हुईं और पहली बार प्रधान बनीं। एक बार बिधूना से विधायकी का चुनाव हारने के बाद वह भाजपा में चली गई थीं। इसके बाद वह दो साल तक जिला औरैया की भाजपा जिलाध्यक्ष रहीं। इस समय प्रदेश की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद हैं।